गुरमीत बेदी
नए
साल का अपुन को उसी तरह इंतजार रहता है, जैसे जुगाड़ू लेखकों को अपनी रचना
छपने का, फीमेल्स को अपने हसबैंड की ऊपरी कमाई का, नेता नामक जीव को
कुर्सी का, कुर्सी पर विराजमान लोगों को अपने विरोधियों के सितारे गर्दिश
में जाने का, वर्दी वालों को ‘मुर्गी ’ का, माफिया सरगनाओं को लीडर के
आशीर्वाद का, कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का, अधिकारियों को ‘ मलाईदार
पोस्टिंग’ का और पति-परमेश्वरों को अपनी पत्नियों की सहेलियों के एसएमएस का
इंतजार रहता है। दिसंबर का महीना आते-आते अपुन रात को दारू पीकर और सुबह
रजाई में बैठकर फीकी चाय की चुस्कियां लेते हुए यह चिंतन करने लगते हैं कि
नए साल में क्या नया होना चाहिए। इस साल भी अपुन ने ऐसा ही चिंतन किया।
चिंतन से उपजी नई कामनाओं का ब्योरा इस तरह है:- नए साल में कम लीडर तिहाड़
जेल जाने चाहिए। तिहाड़ जेल में पहले से ही बहुत लीडर हैं और वहां दूसरे
किस्म के कैदियों के लिए जगह कम पड़ रही है। ज्यादा लीडर अगर तिहाड़ जेल
में ठूंस दिए जाएंगे तो फिर देश में नई बहस छिड़ सकती है कि तिहाड़ को जेल
कहा जाए या इसे राजनीतिज्ञों का अभ्यारण्य? तिहाड़ जेल में सिर्फ वही लीडर
भेजे जाने चाहिएं जिन्होंने करोड़ों या अरबों में नहीं बल्कि खरबों रुपए के
हिसाब से पैसा खाया हो। ऐसे लीडरों को देखने के लिए एक टिकट रखी जानी
चाहिए, जैसी आमतौर पर चिडिय़ाघरों में रखी जाती है। इससे देश का रेवेन्यू
बढ़ेगा जो गरीबों के लिए योजनाएं बनाने के काम आयेगा। जिन लीडरों ने
करोड़ों रुपए के हिसाब से पैसा हजम किया हो, उन्हें छोटी जेलों में रखा जा
सकता है। देश भर में छोटी-छोटी जेलें बनाए जाने से कई हाथों को रोजगार
मिलेगा और देश में विकास की रफ्तार भी तेज होगी। इसके अलावा नए साल में जगह
जगह सौंदर्य प्रतियोगिताएं होनी चाहिएं। इससे लोगों की आई- साइट तेज होगी।
आई साइट तेज होने से लोग दूरदर्शी बनेंगे। इससे देश गौरवान्वित होगा। इसके
अलावा लॉफ्टर चैलेंज स्टाइल कार्यक्रम भी गांव- गांव और नगर- नगर में होने
चाहिएं ताकि मुल्क में मनोरंजन की बहार आ जाए। अब घोटालों से देशवासियों
का वैसा मनोरंजन नहीं हो रहा, जैसा शुरू - शुरू में होता था। थोक में
घोटाले होने से कौन बेवकूफ घोटालों में इंट्रस्ट लेगा ? मीडिया को भी चाहिए
कि छोटे मोटे घोटालों की खबर न छापे। इससे मुल्कवासियों का कीमती टाइम
खराब होता है। घोटालों की बजाए इस तरह की खबरें भी छापी जा सकती हैं कि साठ
साल का एक आदमी पड़ोस की बीस साल की कन्या के साथ घर से भाग गया या अस्सी
साल का एक बूढ़ा अपनी पत्नी को तलाक देकर पड़ोसन से शादी रचाने जा रहा है।
ऐसी स्टोरी लोग बहुत इंट्रस्ट से पढ़ते हैं। ‘करप्शन’ और ‘भ्रष्टाचार ’ इन
दोनों शब्दों के उच्चारण पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए। जो ऐसा बोले, उसे
देशद्रोही करार दे दिया जाना चाहिए। इससे हमारी गौरवपूर्ण राजनैतिक
परंपराओं का संरक्षण व संवर्धन होगा। इस साल अपुन की यह भी कामना रहेगी कि
कर्मचारियों को ठंड भत्ता, गर्मी भत्ता, बारिश भत्ता , एंटरटेनमेंट भत्ता
और दफ्तरों में राजनीति करने के लिए राजनीति भत्ता मिले। सरकारी गाडिय़ों
में लॉगबुक भरने का झंझट खत्म हो जाए। इससे अधिकारियों की कार्यकुशलता और
बढ़ेगी। वे जहां जी चाहे, सरकारी गाड़ी ले जा सकेंगे। यही नहीं, इस साल
अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट की आयु सीमा खत्म भी हो जाए।
जब तक ऊपर वाले का बुलावा न आ जाए, तब तक वह सरकार का कर्मचारी ट्रीट हो।
कर्मचारी अगर भगवान को प्यारा हो जाए तो उसकी अंतिम क्रिया सहित तमाम
कर्मकांड़ों का खर्च सरकार उठाए। कर्मचारी खुश होंगे तो ऊपर वाले के पास
जाकर भी सरकार की शान में कासीदे पढ़ेंगे। इस साल लेखकों पर भी लक्ष्मी
मेहरबान हो। जुगाड़ू लेखकों को पुरस्कार मिले और बाकी लेखकों को थोक में
रॉयल्टी। ठेकेदारों को भी इस साल खूब ठेके मिलें। ठेके विकास का सूचकांक
होते हैं। ठेकों के आबंटन की टैंडर प्रक्रिया चलती रहने से कईओं का कल्याण
होता है। परमात्मा भी सृष्टि का कल्याण चाहते हैं। ठेके कल्याण का प्रतीक
होते हैं। और हां, एक बात तो भूल ही गया। इस साल देश में गरीबों के लिए भी
कुछ हो जाए तो क्या बात हो !